Why delay in Marriage faults and Astrological solutions

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आजकल अक्सर देखा जाता है की लड़का या लड़की की शादियों में देरी हो रही है । पहले जमाने में लड़का या लड़की की शादी छोटी आयु में ही कर दी जाती थी । क्योंकि पुराने बुजुर्गों का विचार था की लड़की की शादी रजोदर्शन से पहले कर देनी चाहिए रजोदर्शन होने के बाद उसे एक अभिशाप गिना जाता था । परंतु आज बदलते युग को देखते हुए लड़का या लड़की पहले अपने शिक्षा को पूर्ण करते हैं उसके बाद करियर का निर्माण करते है । इसी दुविधा के कारण शादी में देरी हो जाती है। यद्यपि शादी जीवन का अभिन्न अंग है ।  अगर वह अपने आयु के अनुसार हो जाए तो व्यक्ति का जीवन सुखमय व्यतीत होता है । क्योंकि यदि ऐसा नहीं होता तो बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ती आयु को देखते हुए शरीर के विकार उत्पन्न होते हैं जो आगे जाकर उनके विवाहित जीवन में उलझने उत्पन्न करते हैं । जैसा कि आपसी स्वाभाविक मतभेद , संतान उत्पत्ति में देरी , बात बात पर कलह आदि आदि । विवाह में देरी के कुछ कारण सामाजिक परिस्थितियों एवं मानसिक विचार और ज्योतिष के अनुसार कुंडली में उत्पन्न होने वाले कुयोगों का प्रभाव हो सकता है । दोस्तों इनमें जो मुख्य कारण कुंडली के कुयोगों का है आज इस पर चर्चा करेंगे ।  


कुंडली के सप्तम भाव का विचार:-
* दोस्तों वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब हम बच्चे की कुंडली का निर्माण करते हैं तो बच्चों की जन्म तारीख, जन्म समय एवं जन्म स्थान के आधार पर जन्म कुंडली बनाते हैं ।  उसके पश्चात कुंडली में जो 12 भावों में से सप्तम भाव का विचार किया जाता है । क्योंकि दोस्तों सप्तम भाव को वैदिक ज्योतिष में जीवनसाथी का कहा गया है । जिससे हम वर या वधू का विचार करते हैं। जब सप्तमेश अर्थात सप्तम भाव के स्वामी सौम्य ग्रह हो जैसा कि चंद्र, बुध, गुरु एवं शुक्र और उसकी दशा चल रही हो तो व्यक्ति का विवाह सुयोग्य वर या वधू से शीघ्र हो जाता है और  सातवें भाव में विराजमान सौम्य ग्रह सुंदर, सुशील, गुणों से युक्त जीवन साथी को देने वाले हैं अपनी दशा या अंतर दशा में सुयोग्य वर या वधू प्राप्त करवाते हैं परंतु जब सप्तमेश यानि सातवें भाव के स्वामी सूर्य, मंगल, शनि राहु एवं केतु क्रूर ग्रह होता है तो कुरुप एवं उग्र स्वभाव का जीवन साथी देरी से प्राप्त होता है और जब यह ही क्रूर ग्रह सातवें भाव में विराजमान होते हैं तब क्रोधी जीवन साथी देरी से प्राप्त होता है । दोस्तों अब मैं इन क्रूर ग्रहों के कुछ उपाय बता रहा हूं जिनके करने से विवाह में होने वाली देरी दूर होगी ।अगर सप्तमेश या सप्तम भाव में सूर्य हो तो पिता की सेवा एवं आशीर्वाद से वैवाहिक बाधा दूर होगी। जब सप्तमेश या सप्तम भाव में मंगल स्थित हो तो बड़े भाई एवं हनुमान जी की उपासना करने से  विवाह शीघ्र होगा। जब सप्तमेश या सप्तम भाव में शनि हो तो सफाई कर्मचारियों को संतुष्ट करने से विवाह की रुकावट दूर  होगी। राहु केतु अगर सप्तम भाव में हो तो पक्षियों को सतनाजा डालें और काली वस्तु का दान करें तो विवाह जल्दी होगा और जीवन सुखमय व्यतीत होगा। इसलिए क्रूर ग्रहों के जप दान से विवाह की रुकावट दूर होगी और वैवाहिक जीवन भी आनंद से यापन होगा। 


सप्तम भाव पर ग्रहों की दृष्टि:-
* दोस्तों जैसा कि मैंने ऊपर बतलाया है कि वैदिक ज्योतिष में सप्तम भाव को वर वधू का भाव कहा जाता है दोस्तों वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की दृष्टि का महत्वपूर्ण स्थान है । जब सौम्य ग्रह अपनी पूर्ण दृष्टि से किसी भाव को देखते हैं तो उस भाव की वृद्धि होती है । लेकिन जब पाप ग्रह अपनी पूर्ण दृष्टि से किसी भाव को देखते हैं तो उस भाव की हानि करते हैं । अब हम सप्तम भाव विचार पर देखते हैं कि जब गुरु चंद्रमा शुक्र एवं बुद्ध की पूर्ण दृष्टि सप्तम भाव पर होती है तो व्यक्ति की शादी जल्दी कहीं जाती है । लेकिन जब सप्तम भाव पर शनि सूर्य मंगल एवं राहु केतु की पूर्ण दृष्टि आती है तो विवाह में विलंब होता है । जब एक से अधिक पापी ग्रहों की दृष्टि सप्तम भाव पर हो तो विवाह में तो देरी होती है साथ ही वैवाहिक जीवन भी कष्ट में हो जाता है । शनि की तीसरी एवं दसवीं दृष्टि विवाह में देरी करती है एवं विवाहित जीवन को नष्ट कर देती है । अगर आपकी कुंडली में कहीं से भी पापी ग्रहों की दृष्टि सप्तम भाव पर है तो आपको उसे ग्रह का जाप एवं दान करना उचित फल देगा ।  विवाह की देरी को दूर करने के लिए माता कात्यायनी एवं माता गौरी की उपासना उचित फल को देने वाली है । शीघ्र विवाह योग बनाने के लिए आप गुरुवार का व्रत एवं 16 सोमवार के व्रत भी कर सकते हैं ।‌


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शादी में देरी का मंगलीक दोष:-
* दोस्तों शादी में देरी का एक कारण लड़का या लड़की का मंगली होना भी पाया जाता है । हमारे शास्त्र कहते हैं -: लग्ने व्यये च पाताले यामित्रे चाष्टमे कुज: । अर्थात जब लड़का या लड़की के लग्न में, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में मंगल स्थित हो तो जातक या जातिका मंगली कहे जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार मंगली लड़की की शादी मंगली लड़के के साथ ही हो सकती है । अगर एक मंगली हो और दूसरा ना हो तो विवाह संपन्न नहीं होता इसीलिए मंगली लड़का या लड़की न मिलने के कारण विवाह में देरी होती है । जब मंगल लग्न में होता है तो उग्र और जिद्दी स्वभाव के कारण व्यक्ति के विवाह में देरी होती है । जब मंगल चौथे होता है तो संपत्ति को लेकर विवाह में देरी होती है । जब मंगल सातवें होता है तो आचार व्यवहार की कमी के कारण विवाह में देरी होती है । जब मंगल आठवें होता है तो मान प्रतिष्ठा एवं आयु विवाह में देरी का कारण बनता है । जब मंगल द्वादश  में होता है तो खर्च एवं दूरस्थ होने से विवाह में देरी होती है ।‌ दोस्तों अगर मंगल के ऊपर कहीं से भी गुरु की दृष्टि हो ( न मंगली पश्यति यस्य जीव: ) तो मांगलिक दोष दूर हो जाता है । -: यामित्रे यदा सौरि लग्ने हुबुके तथा। अष्टमे द्वादशे चैव भौम दोषो न विद्यते :- अगर एक मंगली हो और दूसरे के उन्हें भावों में ( 1,4,7,8,12 में ) शनि हो तो मंगलीक दोष दूर हो जाता है। अतः दोनों की शादी की जा सकती है। इस प्रकार दोस्तों अगर लड़का या लड़की मंगली हो तो अक्सर विवाह में देरी पाई जाती है। ‌

 

सारांश :-
* दोस्तों विवाह में देरी का कारण समाज एवं आचार व्यवहार भी हो सकता है । अगर आपका अच्छा कारोबार नहीं तो भी विवाह में देरी होती है लेकिन सबसे अनिवार्य आपकी कुंडली की ग्रह स्थिति होती है। कुंडली के निकृष्ट दोषों को दूर करने के लिए जप, दान एवं पूजा पाठ का सहारा लिया जा सकता है। इनके करने से विवाह की देरी दूर हो सकती है । आप अपनी जन्म कुंडली का विचार किसी सुयोग्य ब्राह्मण से करवा सकते हैं । या अपनी जन्मतिथि जन्म समय एवं जन्म स्थान कार्यालय में भेज कर परामर्श का सकते हैं। धन्यवाद।



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