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जब सृष्टि का प्रादुर्भाव हुआ तो क्षीरसागर में शेष शैय्या पर शयन करते हुए भगवान विष्णु की नाभि से कमल उत्पन्न हुआ फिर कमल पर ब्रह्मा जी विराजमान हुए जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के लिए संकल्प किया तो शंकर जी के द्वारा पृथ्वी की स्थापना की गई । जिस दिन पृथ्वी की स्थापना हुई वह दिन शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी का कहा जाता है । यह माह के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी की दिन स्वीकार किया जाता है । जो इस बार 14 फरवरी 2024 दिन बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन से ही जड़ चेतन सृष्टि में नहीं चेतना प्रफुल्लित होती है। वृक्षों पर नए पल्लव अंकुरित होते हैं । जीवो में नहीं चेतन आती है । शीत ऋतु के बाद मुरझाए चेहरे खिल जाते हैं । लोग अपनी खुशी का प्रगटावा नए वस्त्र आभूषण आदि से करते हैं । इसलिए बसंत पंचमी को संजीवनी कहा जाता है यह जीवन में संचार करती है और व्यक्ति के मन को खुशियों से भर देती है । आज हम विचार करेंगे की बसंत पंचमी कब और कैसे मनाई जाती है ।
* माता सरस्वती की उत्त्पति :- जब सृष्टि की रचना हुई तो वह मूक रूप में होने के कारण रस हीन थी। नीरस होने से अशोभनीय प्रतीत हुई। ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल लेकर पृथ्वी पर छिड़का तो वीणा, पुस्तक,माला एवं वरमुद्रा में चतुर्भुज रूप में प्रकट हुई। जब उसने वीणा की तार को स्पर्श किया तो संसार में एक तरंग उत्पन्न हुई जिससे यह संसार ध्वनि युक्त हुआ । यह कार्य है ब्रह्मा जी ने पंचमी के दिन किया था इसलिए उसे पंचमी को सरस्वती माता का अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है । और व्यक्ति नाना प्रकार की सामग्री के साथ माता सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं माता सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा गया है इसलिए प्रत्येक विद्यालय में माता सरस्वती की आराधना विद्या की देवी के रूप में की जाती है । संगीत का प्रार्थना भाव माता की तान से हुआ है श्री माता सरस्वती को संगीत की देवी स्वीकार किया जाता है । अपने भक्तों पर विशेष कृपा करके यह वरदानी कही गई है । वेदों का ज्ञान माता ने तीनों लोकों में व्याख्यान किया इसलिए माता का नाम शारदा पड़ा ।
* पंचमी के दिन क्या करें विशेष:- दोस्तों जब माघ की शुक्ल पक्ष की पंचमी आती है तो सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शौच स्नानादि से निवृत होकर अपने घर के मंदिर में एक छोटी चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर सफेद कमल के पुष्पों पर माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें । माता का षोडशोपचार से पूजन करें । सफेद फूलों की माला माता को पहनाए । यदि संभव हो तो वीणा आदि वाद्य का पूजन करें । माता को खीर का भोग लगाएं । और माता की आराधना में मंत्र का जाप अथवा स्तोत्र का पाठ करें । माता से प्रार्थना करें की है माता जैसे आपने इस संसार को बुद्धि विवेक के द्वारा प्रफुल्लित किया है इस प्रकार हमारे अंतकरण को भी प्रफुल्लित करें । हमें विद्या और बुद्धि प्रदान करें सन्मार्ग की ओर प्रेषित करें । फिर माता की आरती कर प्रसाद ग्रहण करें ।
* कैसे मनाएं बसंत पंचमी :- बसंत पंचमी को लोग बड़े उत्साह से मानते हैं । इस दिन लोग नए वस्त्र मिठाइयां एवं पतंग उड़ाते हैं। संगीत प्रतियोगिता,गायन, वाद्य आदि से मन को आनंदित करते हैं। विद्यालयों में माता सरस्वती की पूजा में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। लोग अपनी आराध्य देवी सरस्वती को प्रसन्न करने हेतु माता की आराधना करते हैं। श्लोकों से माता की स्तुति करते हैं। वह ज्ञान की देवी अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर विद्या बुद्धि प्रदान करती हैं। भारत वर्ष में वसंत पंचमी बड़े उत्साह से मनाई जाती है। लोग नई ऊर्जा का बड़े उत्साह से आनंद लेते हैं।
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क्या करें क्या न करें :-
*बसंत
पंचमी के दिन अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें । पवित्रता में माता सरस्वती
का वास है । सत्य का पालन करें । बड़ों का आदर करें । उनकी आज्ञा का पालन
करें । मन को शांत रखें ।प्रातः काल जल्दी स्नान करें ।सफ़ेद वस्त्र धारण
करें ! मन को एकाग्र करने के लिए माता सरस्वती का
ध्यान करें । नई ऊर्जा के संचार के लिए आलस्य का त्याग करें ।
* कहीं भी कूड़ा कर्कट ना फैलाए। झूठ न बोलें क्यूंकि झूठ बोलने से माता सरस्वती नाराज हो जाती है । किसी पर क्रोध ना करें क्रोध व्यक्ति के सद्गुणों को खो जाता है ।
सारांश:- भारतवर्ष में शास्त्रों के
अनुसार अनेक प्रकार के उत्सव कहे गए हैं इनमें बसंत पंचमी प्रमुख उत्सव है
इसमें माता सरस्वती की आराधना की जाती है और नई ऊर्जा का संचार करने के
लिए माता की पूजा की जाती है लोग अपनी खुशी को वस्त्र आभूषण पतंग आदि के
द्वारा प्रगट करते हैं । बसंत ऋतु में चराचर जगत जीव जंतु वृक्ष एवं
प्राणी नए अंकुरित वातावरण का आनन्द लेते हैं। हमने यह शास्त्रों की
मर्यादा के अनुसार उल्लेख किया है जिसके करने से व्यक्ति अपने मानसिक आनंद
को प्राप्त करता है । खुशी मनाता है और अपनी माता सरस्वती को प्रसन्न करता
है ।