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संसार अंकों के बिना अधूरा है। अंक ज्ञान ही इसे संपूर्ण करते हैं। अंक ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक अंक का अपना महत्व होता है। अंक का संसार के प्रत्येक जीव पर अपना प्रभाव दिखाई देता है ! मनुष्य के कुछ विशेष अंकों पर अच्छे या बुरे ( शुभ या अशुभ ) कार्य विशेष अंकों में या तारीखों में हुआ करतें हैं। इसलिए अंक ज्योतिष में इसे मूल अंक, भाग्य अंक एवं अशुभ या शत्रु अंक के अंतर्गत स्वीकार किया जाता है। आज हम विचार करें कि कि मूल अंक एवं भाग्य अंक क्या होतें हैं और इन का हमारे जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता हैं। अंकों के स्वामी ग्रह कौन से हैं और उनका हमारे जीवन से क्या संबंध है। कैसे वह हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। अंक ज्योतिष को अंकों की दुनिया क्यों कहा जाता है। अंक ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति पर दो प्रकार के ग्रहों का प्रभाव दिखाई देता है इसलिए अंक ज्योतिष में भी दो प्रकार से विचार किया जाता है। एक मूलांक और दूसरा भाग्यांक ।
मूलांक क्या है:- हमारे शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मांड में नौ ग्रहों को स्वीकार किया गया है जिनका प्रभाव अच्छा या बुरा इस पृथ्वी के चराचर जीव पर दिखाई देता है । इसीलिए हमारे अंक ज्योतिष में भी 9 अंक स्वीकार किए गए हैं । अंक ज्योतिष के अनुसार जिस तारीख में जन्म हुआ होता है उसे तारीख को मूलांक कहा जाता है । जैसे किसी व्यक्ति का जन्म 6 तारीख को हुआ है तो उसका मूलांक 6 माना जाएगा । जब यह जन्म 15 या 24 तारीख को हुआ हो तो भी मूलांक 6 ही माना जाएगा । क्योंकि अंकों की संख्या 9 है इसलिए जब 15 या 24 तारीख को जन्म होता है तो दोनों अंकों को जोड़ लिया जाता है। 15 यानी 1+5=6, 24 यानी 2+4=6 । मूल अंक का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव, बनावट एवं दिनचर्या पर दिखाई देता है। जो व्यक्ति का मूलांक होता है उसका स्वामी ग्रह के अनुसार उसकी जीवनशैली होती है। तब व्यक्ति अपने ग्रहों के प्रभाव से अच्छे या बुरे कार्य करता है । क्योंकि प्रत्येक अंक का देवता अलग होता है । इसलिए अंक ज्योतिष में मूलांक का प्रभाव अधिक देखने को मिलता है ।
भाग्यांक:- प्रत्येक व्यक्ति का एक भाग्यांक होता है जिसका व्यक्ति के कारोबार, भाग्य एवं चराचर संपत्ति पर प्रभाव दिखाई देता है। अब हम विचार करेंगे की भाग्य अंक कैसे प्राप्त करें । जिस तारीख को व्यक्ति का जन्म हुआ है । उसे तारीख के सारे अंकों को जोड़कर जो संख्या बनती है उसे पूरे जोड़कर जो अंक प्राप्त होता है उसे भाग्यांक कहते हैं । जैसे किसी व्यक्ति का जन्म 15-08-1971 में हुआ है तो उसका भाग्यांक निकालने के लिए सर्वप्रथम उनका जोड़ किया जाता है । जैसे 1+5+0+8+1+9+7+1=32 आया अब इसे पुनः जोड़िए 3+2=5 । यह पांच अंक ही व्यक्ति का भाग्य अंक स्वीकार किया जाएगा । इसका देवता जो ग्रह होगा उसके प्रभाव से व्यक्ति का भाग्य, कारोबार या संपत्ति व्यक्ति के पास रहेगी । इसलिए मानव जीवन में कारोबार आदि का विचार करने के लिए भाग्यांक को स्वीकार किया गया है ।
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अंकों के स्वामी :- अब हम विचार करेंगे कि कौन से अंक का स्वामी कौन सा ग्रह है । जिसका प्रभाव मनुष्य जीवन पर पड़ता है । जो ग्रह मनुष्य के मूलांक एवं भाग्य अंक का स्वामी होता है उसी के अनुसार उस का जीवन यापन होता है।
सारांश :- अब हम संक्षेप में कह सकते है कि अगर व्यक्ति अपने मूलांक अथवा भाग्यांक को प्रधान मान कर कोई कार्य करता है तो उसे अपने उद्देश्य में शीध्र सफलता प्राप्त होती है। उस अंक के स्वामी की उस पर विशेष कृपा होती है। व्यक्ति अच्छी उन्नति को बड़ी सरलता से प्राप्त कर लेता है। यही विशेषता हमारे अंक ज्योतिष में मूलांक एवं भाग्यांक की बताईं गईं हैं। अगर आपको अपना भाग्यांक एवं मूलांक निकलने में कोई दिक्कत आ रही है तो आप किसी अच्छे विद्वान से अथवा कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं ।