Kya aapki Kundli Mein hai Foreign Jane ka Yog?

Kundli Yog


🔮 विदेश यात्रा: सिर्फ सपना नहीं, आपकी कुंडली में छुपा सच है!

आज के समय में विदेश जाना सिर्फ एक लग्ज़री नहीं, बल्कि करियर, शिक्षा, व्यापार और बेहतर जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बन गया है। परंतु क्या हर किसी को विदेश जाने का अवसर प्राप्त होता है? ज्योतिष के अनुसार विदेश यात्रा के कुछ विशेष योग होते हैं, जो यह संकेत देते हैं कि जातक का भाग्य विदेश में ही चमकेगा।


हम भृगु ज्योतिष अनुसंधान केंद्र से इस विषय पर गहराई से प्रकाश डालते हैं, जहां आचार्य कृष्ण कुमार शास्त्री जी वर्षों से विदेश यात्रा के योगों का सटीक विश्लेषण कर रहे हैं।


✈️ विदेश यात्रा योग: ज्योतिष में संकेत

1. बारहवां भाव (12th House) – विदेश का मुख्य द्वार

बारहवां भाव कुंडली में विदेश, प्रवास, व्यय और आत्मज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। यदि यह भाव शुभ ग्रहों से प्रभावित हो और इसके स्वामी की स्थिति मज़बूत हो, तो विदेश जाने की संभावना बहुत अधिक होती है।


2. नवम भाव (9th House) – भाग्य और लंबी यात्रा का भाव

नवम भाव धार्मिक यात्रा, उच्च शिक्षा और भाग्य का सूचक है। यदि नवम भाव और बारहवें भाव में संबंध बने हों, तो जातक को पढ़ाई या तीर्थ यात्रा के माध्यम से विदेश जाने का योग बनता है।


3. दशम भाव (10th House) – करियर संबंधी विदेश योग

दशम भाव नौकरी और करियर का भाव है। यदि इसमें विदेशी ग्रह जैसे राहु, शनि या बुध हों, तो नौकरी के माध्यम से विदेश यात्रा संभव है।


4. राहु और केतु की भूमिका

राहु, विदेशी चीज़ों और स्थानों से संबंधित होता है। अगर राहु तीसरे, सातवें या बारहवें भाव में हो, तो जातक का झुकाव विदेश की ओर होता है। केतु भी अप्रत्याशित परिवर्तन लाता है जो अक्सर विदेश प्रवास में परिणत होता है।


5. चंद्रमा की भूमिका और परिवर्तनशीलता

चंद्रमा यदि नीच का न होकर बारहवें या नवम भाव में उच्च अवस्था में हो, तो जातक विदेश में लंबे समय तक रह सकता है।


🌍 विदेश जाने के प्रकार


  • शिक्षा हेतु यात्रा – नवम और पंचम भाव की स्थिति देखी जाती है।
  • नौकरी हेतु यात्रा – दशम भाव और दशा-अंतर्दशा का विशेष महत्व।
  • व्यवसाय हेतु यात्रा – सप्तम और एकादश भाव की स्थिति प्रमुख।
  • स्थायी निवास – बारहवें भाव का संबंध लग्न और चतुर्थ भाव से होना आवश्यक।


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🔢 कुछ प्रमुख कुंडली योग जो विदेश यात्रा को दर्शाते हैं

  • ग्रह भाव प्रभाव
  • राहु 12वें भाव में विदेश में स्थायी निवास का योग
  • शनि + मंगल 9वें भाव में कठिन परिश्रम से विदेश में सफलता
  • चंद्रमा + बुध 3वें भाव में बार-बार विदेश यात्रा के संकेत
  • गुरु + शुक्र 10वें भाव में विदेश में उच्च पद

  • 📜 वास्तविक जीवन उदाहरण

    एक जातक की कुंडली में राहु बारहवें भाव में था और गुरु नवम भाव में। दशा में राहु चला और उन्हें कनाडा से पढ़ाई का ऑफर मिला। विवाह के बाद गुरु की दशा शुरू हुई और वह वहीं स्थायी रूप से बस गए।


    ❓5 महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर

    प्रश्न 1: क्या हर किसी के लिए विदेश जाना संभव है?

    उत्तर: नहीं, यह निर्भर करता है कुंडली में विदेश यात्रा से संबंधित योगों की स्थिति पर।


    प्रश्न 2: विदेश यात्रा का योग कब फल देता है?

    उत्तर: जब संबंधित ग्रहों की दशा/अंतर्दशा चल रही हो, तब योग फलदायी होता है।


    प्रश्न 3: क्या राहु का प्रभाव हमेशा विदेश यात्रा देता है?

    उत्तर: नहीं, राहु यदि शुभ भावों में हो और अच्छे ग्रहों से दृष्ट हो, तभी इसका फल सकारात्मक होता है।


    प्रश्न 4: विदेश में बसने का संकेत कौन सा ग्रह देता है?

    उत्तर: बारहवें भाव में राहु, शुक्र या चंद्रमा हो तो स्थायी निवास का योग बनता है।


    प्रश्न 5: क्या शिक्षा के लिए विदेश जाने का योग अलग होता है?

    उत्तर: हां, इसके लिए पंचम और नवम भाव की स्थिति और गुरु की दशा देखी जाती है।


    🧠 सारांश

    ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विदेश यात्रा एक निश्चित योग पर आधारित होती है। सही दिशा में विश्लेषण और उपायों के माध्यम से आप भी विदेश यात्रा या प्रवास का सपना साकार कर सकते हैं। कुंडली में योगों की पुष्टि कराकर, सही समय पर प्रयास किए जाएं तो सफलता मिलनी निश्चित है।


    📢 संपर्क करें – विदेश यात्रा का भविष्य जानने के लिए

    भृगु ज्योतिष अनुसंधान केंद्र

    आचार्य: कृष्ण कुमार शास्त्री जी

    स्थान: बरेटा, पंजाब

    📞 संपर्क सूत्र: 94175*59771

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