Kundli Yog
आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति अपनी उन्नति चाहता है कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी उसे सफलता प्राप्त नहीं होती । कई बार कुंडली में ग्रहों की स्थिति ऐसी बन जाती है कि व्यक्ति के अपने अच्छे ग्रहों का प्रभाव कम हो जाता है। हमारे शास्त्र कहते हैं कि सारा संसार ग्रहों के अधीन है । अगर जन्म के समय ग्रहों की स्थिति अनुकूल होती है तो व्यक्ति आनंदमय जीवन यापन करता है । लेकिन जब ग्रह स्थिति प्रतिकूल होती है तो व्यक्ति संघर्ष से जीवन बिताता है । शास्त्र कहते हैं की कुछ ऐसे योग होते हैं जिनके प्रभाव से व्यक्ति का जीवन सारी उम्र ही संघर्ष में रहता है । व्यक्ति का कोई भी कार्य पूरा नहीं हो पता तो आज हम जानेंगे कि ऐसे कौन से दोष होते हैं ! जब बच्चे के जन्म समय पर राहु और केतु के मध्य में सभी सूर्य आदि ग्रह आ जाए तो व्यक्ति का जीवन संघर्षपूर्ण रहता है। हमारे शास्त्रों में राहु और केतु मध्य में सभी ग्रहों की उपस्थिति को कालसर्प दोष के अंतर्गत रखा है । कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति के जीवन में अनेकों कष्ट आते हैं । मुख्यतः कालसर्प दोष 12 प्रकार का कहा गया है । जिसका विश्लेषण हम आगे करेंगे।
कालसर्प योग के लक्षण :- मानव के जीवन मे प्रत्येक कार्य मे बाधा आती है । शरीर पूरी तरह से विकसित नही होता,वह मानसिक एवं शारीरिक तौर पर कमजोर रह जाता है। क्रोध अधिक रहता है, विद्या मे विघ्न आते है,कई बार तो व्यक्ति अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाता । मन उच्चाट रहता है,कही पर भी मन नही लगता है । धन धान्य मे रूकावटों का सामना करना पड़ता है । असंतोष, अज्ञात भय, असुरक्षा की भावना बनी रहती है, गृह क्लेश, विवाह में देरी ,आर्थिक उन्नति मे बाधा, दीन भावना ग्रसत , कुण्डली का फल भी पूर्णतया नही मिलता, ! अगर आपके जीवन में ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो निश्चय ही आपके जीवन में कालसर्प दोष का प्रभाव है ।
* अनंत काल सर्प !- जब जन्म कुंडली में राहु लग्न में हो, केतु सप्तम भाव में हो और सूर्य आदि ग्रह बीच में हो तो अनंत काल सर्प दोष कहा जाता है । इस में जन्म लेने वाले व्यक्ति को आसानी से सफलता नहीं मिलती और जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । न तो शरीर स्वस्थ रहता है,न परिवार साथ देता है,न सम्पत्ति, वाहन आदि का सुख,न शिक्षा ही लाभ देती है। या तो विवाह होता ही नहीं अगर हो जाए तो वैवाहिक जीवन नर्क बन जाता है।
* कुलिक कालसर्प दोष !-जब राहु दूसरे और केतु आठवें हो और बीच में सूर्य आदि ग्रह आ जाए तो कुलिक कालसर्प दोष कहा जाता है। जिस कारण व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं से सामना करना पड़ता है, व्यक्ति का समाज से अच्छा संबंध नहीं होता है। मान सम्मान भी प्राप्त नहीं हो पाता। शिक्षा, संपत्ति, विवाह, एवं सुख में अनेकों बाधाएं उत्पन्न होती है। व्यक्ति का सारा जीवन संघर्ष में भी जाता है।
* वासुकि कालसर्प दोष !-जब व्यक्ति की कुंडली में तीसरे राहु , नौवें केतु और सूर्य आदि ग्रह उनके मध्य में हो तो वासुकि कालसर्प दोष बनता है। जिस कारण परिवार में अशांति आर्थिक समस्याएं , सुख साधनों की कमी, माता को कष्ट, संतान बाधा, जीवन साथी से झगड़ा, एवं भाग्य उन्नति में रुकावट पैदा हो जाती है। व्यक्ति अपना जीवन यापन कठिनाई से करता है।
* शंखपाल कालसर्प योग !-जब व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु चौथे हो और केतु दशवें हो बीच में सूर्य आदि ग्रह हो तो शंखपाल काल सर्प दोष होता है । इससे घर, जमीन-जायदाद एवं चल-अचल संपत्ति का विवाद, संतान से झगड़ा, रोग, क्रोधी जीवन साथी, निम्न भाग्य, और कारोबार की समस्या हमेशा बनी रहती है। बड़ी मुश्किल से व्यक्ति अपना जीवन निर्वाह करता है।
* पद्म कालसर्प दोष !-कुंडली में पांचवें घर में राहु और एकादश भाव में केतु हो और बीच में सूर्य आदि ग्रह हो तो पदम कालसर्प दोष होता है इस योग के प्रभाव से जातक को विद्या में विघ्न,अपयश , सन्तान से कष्ट , जीवन साथी से अनवन, भाग्य में अवनति, कारोबार में कमी एवं पिता से वैचारिक मतभेद मिलने की संभावना होती है। व्यक्ति का जीवन संघर्ष में होता है।
* महापद्म कालसर्प दोष !-जब जन्म कुंडली में राहु छठे ,केतु बारहवें हो और बीच में सूर्य आदि ग्रह हो तो महापद्म कालसर्प दोष होता है जिस कारण शिक्षा, संतान, प्रेम में धोखा , अनैतिक वैवाहिक जीवन, कारोबार की समस्या, प्रत्येक कार्य में हानि का सामना करना पड़ता है रोग एवं शत्रु प्रबल होते हैं ।
* तक्षक कालसर्प दोष !-जब जन्म कुंडली में राहु सातवें ,केतु लग्न में ,सूर्य आदि ग्रह दोनों के बीच में होते हैं तो तक्षक कालसर्प दोष उपस्थित होता है। जिसके कारण व्यक्ति के जीवन में प्रेम एवं विवाह को लेकर समस्याएं आती हैं । कारोबार में कमी आती है ! भाग्य अवनति को प्राप्त होता है । यात्राओं से भी नुकसान होता है और व्यक्ति का जीवन बाधाओं से पीड़ित होता है।
* कर्कोटक कालसर्प दोष !- जब कुंडली में राहु आठवें, केतु दूसरे मध्य में सूर्य आदि ग्रह हो तो कर्कोटक कालसर्प दोष होता है। जिसके कारण व्यक्ति के मान- सम्मान में कमी,भाग्य में अवनति,कारोबार में बाधाएं शरीर में कष्ट एवं यात्रा में उपद्रव होते हैं । अधिक मेहनत करने पर भी धन की प्राप्ति नहीं होती ।
* शंखचूड़ कालसर्प दोष !-जब कुंडली में राहु नौवें, केतु तीसरे, सूर्य आदि ग्रह मध्य में हो तो शंखचूड़ कालसर्प दोष होता है । जिसके कारण भाग्य में अवनति, कारोबार में कमी, पिता से वैचारिक मतभेद, खर्च और क्लेश की वृद्धि ,शरीर में रोग, बंधुजन विरोध एवं साहस की कमी होती है।
* घातक कालसर्प दोष !-जब जन्म कुंडली में राहु दशवें, केतु चौथे, बीच में सूर्य आदि ग्रह हो तो घातक कालसर्प दोष होता है । जिसमें व्यवसाय को लेकर संघर्ष,संपत्ति का विवाद, बंधु वर्ग से विरोध ,शरीर भी साथ नहीं देता ।खर्च और क्लेश में वृद्धि होती है । यात्राओं से हानि का योग बनता है।
* विषधर कालसर्प दोष !-जब जन्म कुंडली में राहु एकादश में केतु पंचम में मध्य में सूर्य आदि ग्रह हो तो विषधर कालसर्प दोष होता है । जिसके कारण प्रत्येक कार्य में हानि, यात्राएं कष्टकारी ,शरीर में उपद्रव ,धन की हानि बंधुवर्ग का विरोध एवं संपत्ति विवाद , विद्या बुद्धि में विघ्न ,संतान से कष्ट की प्राप्ति होती है । व्यक्ति का जीवन नर्क के समान कहा जा सकता है।
* शेषनाग कालसर्प दोष !-जब जन्म कुंडली में राहु द्वादश में, केतु छठे हो, सूर्य आदि ग्रह बीच में हो तो शेषनाग कालसर्प दोष कहा जाता है । जिसके कारण खर्च बढ़ता है ,शरीर में रोग ,धन-धान्य का नाश ,माता को कष्ट एवं संपत्ति का विवाद ,विद्या में विघ्न एवं संतान से कष्ट, रोग और शत्रु प्रबल रहते हैं । व्यक्ति का जीवन नर्क समान कहा जा सकता है।
* कालसर्प दोष निवारण का शास्त्रीय विधान :-
मृतसंजीवनी महामृत्युंजय सवालाख जप ,इस से शारीरिक कष्ट दूर होगे । क्रोध शान्त रहेगा, कारोबार मे बाधा दूर होगी
राहुगायत्री 18000 जप । इस से उच्चाटपन, क्लेश, विद्या मे विघ्न आदि से छुटकारा मिलेगा।
केतुगायत्री 17000 जप । इस से अज्ञात भय, मानसिक तनाव, असंतोष दूर होगा
नागगायत्री 31000 जप । इस से अंतर्मन की शक्ति बढेगी, आर्थिक विकास होगा, धन परिवार का सुख प्राप्त होगा ।
रुद्राभिषेक 11 पाठ । इस से सभी अनिष्ट दूर होगे, सुख साधनो की प्राप्ति होगी
*कालसर्प निवारण कुछ टोटके:-
घर के ईशान कोण में मोर पंख रखें ।
प्रत्येक सोमवार को गाय को रोटी दें।
गंगाजल और कच्ची लस्सी मिलकर शंकर जी का अभिषेक करें ।
पांच चांदी के सांपों का जोड़ें शंकर जी पर समर्पित करें ।
शनिवार के दिन गंगाजल और गोमूत्र मिलकर घर में छिड़काव करें ।
शनिवार के दिन काले कुत्ते को आखिरी रोटी डालें ।
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सारांश:-
दोस्तों ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब राहु और केतु के मध्य में सभी सूर्य आदि ग्रह आ जाते हैं तब कालसर्प दोष नमक योग उत्पन्न होता है जो मानव शरीर के लिए कष्टकारी कहा गया है । जिसका उल्लेख हमारे ज्योतिष के शास्त्रों में मिलता है इसे 12 भागों में बांटा गया है जिसका प्रभाव आपके जीवन पर दिखाई देता है अगर यही लक्षण आपको अपने जीवन में लग रहे हैं तो आप बताए गए उपाय करें। जिस से आपका दैनिक जीवन सुखमय एवं आनंदमय हो जाएगा अधिक जानकारी हेतु आप हमारे केंद्र से संपर्क कर सकते हैं।