5 mantras of happiness : सुबह उठते ही करें इन मन्त्रों का स्मरण

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जब हम प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं तो सबसे पहले हमारे ध्यान में ईश्वर का स्मरण आना चाहिए जिससे हमारा सारा दिन सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहें। कहते हैं कि अगर सद्गुणों को अपनाना हैं तो सज्जनों का, संत वृत्ति का अनुसरण करना होगा उन्हीं के गुणों को मूलांकन करना होगा। तभी तो हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा। इसलिए हमें हमारे धार्मिक ग्रंथों में वर्णित प्रातः स्मरणीय श्लोकों का ध्यान करना चाहिए। जिन्हें स्मरण करने से हमें उन व्यक्तियों के चरित्रों को जानने का सौभाग्य प्राप्त होगा। उनके सद्कर्मों को ध्यान में रखते हुए हम भगवान से प्रार्थना करेंगे कि हमारे जीवन में भी इन्हीं सौभाग्यशाली वीर वीरांगनाओं के गुण एवं सदाचारी व्यक्तित्व प्राप्त हो। हम भी इन्हीं की तरह अपना जीवन यापन कर सकें। अपने स्वभाव, शारीरिक सुख, उत्तम कारोबार,यश एवं सन्मार्ग को प्राप्त कर सकें। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए आज हम कुछ प्रातः स्मरणीय श्लोकों का ध्यान करेंगे।

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( 1 ) गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर: । गुरु: साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

* अर्थात् :- गुरु सृष्टि को पैदा करने वाले ब्रह्मा है क्योंकि गुरु बालक में सद्गुण पैदा करतें हैं। गुरु को विष्णु कहा गया है क्योंकि वह बालक के गुणों की रक्षा करते हैं। गुरु को महेश्वर (शंकर) कहा गया है क्योंकि वे बालक के दोषों का नाश करतें हैं। गुरु ही साक्षात परम ब्रह्म है क्योंकि वह ज्ञान का सूर्य है । इसलिए हमें ऐसे गुरु को सर्वप्रथम नमस्कार करना चाहिए ।क्यूंकि गुरुदेव हमें सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं शास्त्र कहते हैं की गुरु व्यक्ति के जीवन का आधार होता है अगर आप को सद्गुरु का आशीर्वाद मिल जाए तो निश्चय ही आने वाले संकट अपने आप दूर हो जाते हैं । शास्त्रों में सद्गुरु को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है क्योंकि वे ही हमें सन्मार्ग से उस परब्रह्म परमात्मा की प्राप्ति का साधन बनते हैं इसलिए सर्व प्रथम अपने गुरुदेव का ध्यान एवं स्मरण करना चाहिए।

 

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( 2 ) एकदन्तं महाकायं तप्तकांचनसन्निभम्। लम्बॊदरं विशालाक्षं वन्दॆऽहं गणनायकम् । 

* अर्थात:-  गणेश जी के स्वरूप का चिंतन करते हैं कि गणेश जी एक दांत से युक्त है। बहुत बड़ा शरीर है तपते हुए स्वर्ण के समान वर्ण है, बड़े उदर (पेट) वाले, बड़े-बड़े नेत्रों वाले गणों के स्वामी गणेश जी की हम वंदना करते हैं । क्योंकि वह ही हमारे कार्य को सफल बनाने में सहायक होते हैं किसी भी देवता की आराधना करने से पहले हमें भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए ऐसा हमारा शास्त्र मत है क्योंकि गणेश जी आने वाले विघ्नों को दूर करते हैं । उनका ध्यान करने से हमें सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है और साथ ही कार्य में सफलता भी शीघ्र प्राप्त होती है ।

 

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( 3 ) शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं। प्रसन्नवदनं ध्यायेतसर्वविघ्नोपशान्तये॥ 

* अर्थात् :- भगवान विष्णु जो सफेद वस्त्र धारण करने वाले हैं। चंद्रमा के समान गोर वर्ण (रंग) के है। चार भुजाओं वाले हैं। हमेशा प्रसन्न मुख रहने वाले देव (भगवान विष्णु) का जो हमारे सारे सांसारिक विघ्नों को शांत करने के लिए हम ध्यान करते हैं। भगवान विष्णु हमें उत्तम कारोबार देने वाले हैं उस में आने वाले विघ्नों को दूर करने के लिए एवं अच्छी उन्नति अर्जित करने के लिए उनके स्वरूप का चिंतन हम करतें हैं ।

 

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( 4 ) कर्पूर गौरं करुणावतारं,संसार सारं भुजगेन्द्र हारं।  सदा वसंतं हृदयारविन्दे,भवं भवानी सहितं नमामि ।।

* अर्थात :- जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है। भगवान शंकर हमारे दोषों को शांत करने वाले हैं । शरीर की रक्षा करने वाले देवों के देव महादेव ही है वह मनुष्य की तो क्या अपितु देवताओं की समस्याओं का समाधान भी भगवान शंकर ही करते हैं । उनके स्वरूप का वर्णन हमारे शास्त्रों में बड़ी सुंदरता से किया गया है। 


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 ( 5 ) ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी ,भानुः शशिभूमिसुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम । 

* अर्थात् :- ब्रह्मा ( सृष्टि की उत्पत्ति करने वाले) मुरारी यानी विष्णु ( सृष्टि का पालन करने वाले) त्रिपुरान्तकारी यानी शिव भगवान(सृष्टि का संघार करने वाले, भगवान सूर्य, चंद्रदेव , भूमि सुत यानी मंगल, और बुध ,देव गुरु वृहस्पति, दैत्य गुरु शुक्राचार्य, न्याय प्रिय शनि देव, राहु और केतु सभी ग्रहों आप की सुबह को मंगलमय करें। क्यूंकि  सारा संसार ग्रहों के अधीन है तो सांसारिक सुख प्राप्त करने के लिए अगर हम ग्रहों का प्रातः काल सिमरन करते हैं और उन्हें प्रणाम करते हैं तो हमारा सारा दिन सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है शास्त्र कहते हैं की विस्तार की अपेक्षा केवल सार मात्रा सिमरन करने से हमें ग्रहों की कृपा प्राप्त हो जाती है अगर हम किसी का अभिवादन करते हैं तो हमें आशीर्वाद की प्राप्ति होती है इसलिए अब हम नवग्रह का आवाहन एवं अभिवादन करना चाहिए।

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