Vastu Dosh Ka Sach: Kya Aapka Ghar Bhi Hai Sankat Mein?

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क्या आपके घर में लगातार तनाव, बीमारियाँ या आर्थिक समस्याएं बनी रहती हैं? क्या सफलता मिलने से पहले ही रुक जाती है? तो हो सकता है आपके घर में वास्‍तु दोष हो।  वास्‍तु शास्त्र भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण धरोहर है, जो हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। वास्‍तु दोष ना केवल नकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि पारिवारिक और व्यावसायिक जीवन में रुकावटें भी उत्पन्न करता है।


🔍 वास्‍तु दोष क्या होता है?

वास्‍तु दोष का तात्पर्य है—किसी इमारत, घर, दुकान या कार्यालय का प्राकृतिक तत्वों (जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी) और दिशाओं के साथ असंतुलन। जब कोई भवन वास्‍तु नियमों के विरुद्ध निर्मित होता है, तो वहां नकारात्मक ऊर्जा का वास हो जाता है, जिसे हम वास्‍तु दोष कहते हैं।


🏠 वास्‍तु दोष के लक्षण: क्या आपके घर में ये संकेत दिख रहे हैं?

  1. बार-बार बीमारियाँ होना
  2. गृह कलह या झगड़े
  3. धन की हानि या रुकावट
  4. नींद में बाधा
  5. मानसिक अशांति
  6. बच्चों की पढ़ाई में गिरावट
  7. व्यवसाय में लगातार घाटा


🧘‍♂️ एक विशेष योग: "वास्‍तु दोष निवारण योग"


  • शास्त्रों के अनुसार एक विशेष योग है जो वास्‍तु दोष को शांत करने में सहायक माना जाता है – "गुरु-शुक्र संयोग में उत्तर-पूर्व दिशा की शुद्धि"।
  • जब गुरु और शुक्र की युति हो तथा उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में पूजा, जल स्रोत या तुलसी का पौधा स्थापित किया जाए, तो यह योग घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  • इस योग में किया गया वास्‍तु दोष निवारण अत्यधिक फलदायी माना जाता है।


🛠️ वास्‍तु दोष दूर करने के सरल उपाय


1. मुख्य द्वार की दिशा सुधारें

मुख्य द्वार का मुख पूर्व या उत्तर की ओर होना श्रेष्ठ माना गया है।

दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार वर्जित है, परंतु अगर है, तो वहां स्वस्तिक या श्री यंत्र लगाने से दोष शमन होता है।


2. ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को रखें स्वच्छ

यह दिशा ईश स्थान मानी जाती है। यहां पूजा स्थल, जल स्रोत, तुलसी या गौमुखी गंगा जल कलश स्थापित करें।


3. अग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व) में रखें रसोई

यदि रसोई पश्चिम या उत्तर में है, तो गृहलक्ष्मी के स्वास्थ्य व धन पर असर पड़ सकता है। रसोई में हमेशा दक्षिण-पूर्व में ही अग्नि जलाएं।


4. शयनकक्ष की स्थिति

पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम में शयनकक्ष शुभ होता है। उत्तर-पूर्व में सोना मानसिक बीमारियों को न्योता देता है।


5. दर्पण का उपयोग सोच-समझकर करें

दर्पण कभी भी पलंग के सामने न हो। इससे मानसिक तनाव बढ़ता है।


6. नियमित गंगाजल छिड़काव

सप्ताह में कम से कम एक बार पूरे घर में गंगाजल और गौमूत्र का छिड़काव करें, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।


📿 वास्‍तु दोष शांति के लिए विशेष रत्न और यंत्र


  • वास्तु दोष निवारण यंत्र – इसे ईशान कोण में रखें
  • गोमती चक्र और शंख – उत्तर दिशा में रखें
  • पिरामिड वास्तु सेट – घर के केंद्र में रखने से संतुलन बनता है
  • श्री यंत्र और नवग्रह यंत्र – पूजा स्थल में स्थापित करें


🕉️ पौराणिक दृष्टिकोण से वास्‍तु


  • स्कंद पुराण, अग्नि पुराण और गरुड़ पुराण में वास्‍तु शास्त्र के स्पष्ट उल्लेख मिलते हैं।
  • वास्‍तु पुरुष की पूजा कर उसका आह्वान करना तथा उसे स्थान प्रदान करना अनिवार्य माना गया है।
  • "यत्र वास्तु न सन्ति दोषाः, तत्र लक्ष्मी स्थिरा भवेत्।"
  • जहाँ वास्‍तु दोष नहीं होता, वहाँ लक्ष्मी स्थायी रूप से निवास करती हैं।


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🧠 5 ज्ञानवर्धक प्रश्न उत्तर


प्रश्न 1: वास्‍तु दोष क्या है?

उत्तर: दिशाओं और तत्वों के असंतुलन से उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा को वास्‍तु दोष कहा जाता है।


प्रश्न 2: वास्‍तु दोष से क्या हानियाँ होती हैं?

उत्तर: इससे मानसिक तनाव, बीमारियाँ, धन हानि और पारिवारिक कलह जैसी समस्याएं होती हैं।


प्रश्न 3: वास्‍तु दोष की पहचान कैसे करें?

उत्तर: बार-बार की परेशानियाँ, झगड़े, नींद की समस्या व कारोबार में रुकावट इसके संकेत हैं।


प्रश्न 4: वास्‍तु दोष को कैसे दूर करें?

उत्तर: दिशा अनुसार सुधार, यंत्र स्थापना, गंगाजल छिड़काव व नियमित पूजा से दोष दूर किया जा सकता है।


प्रश्न 5: क्या कोई विशेष योग वास्‍तु दोष निवारण में सहायक होता है?

उत्तर: हाँ, गुरु-शुक्र संयोग में उत्तर-पूर्व की शुद्धि एवं पूजा वास्‍तु दोष को शांत करती है।


📋 सारांश


  • वास्‍तु दोष का सीधा संबंध हमारे जीवन की सुख-शांति और समृद्धि से है।
  • यदि आपके घर में समस्याएं बनी रहती हैं, तो वास्‍तु पर अवश्य ध्यान दें।
  • प्राकृतिक तत्वों और दिशाओं का समन्वय ही सुखद जीवन की कुंजी है।
  • छोटे-छोटे उपाय बड़े लाभ दे सकते हैं। वास्‍तु दोष का समाधान अब कठिन नहीं है।



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