Kundli Yog
भारतीय वैदिक ज्योतिष अपने भीतर अनगिनत रहस्यों और गणनाओं को समेटे हुए है। इनमें से एक गूढ़ और वैज्ञानिक पद्धति है - अष्टकवर्ग प्रणाली। यह न केवल जन्मकुंडली के सूक्ष्म अध्ययन में सहायक होती है, बल्कि इसके माध्यम से ग्रहों की शक्ति, गोचर का प्रभाव और जीवन की विभिन्न दिशाओं में सफलता-असफलता का अनुमान भी लगाया जा सकता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह अष्टकवर्ग क्या है और इसका ज्योतिषीय महत्व कितना व्यापक है।
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अष्टकवर्ग का अर्थ
‘अष्ट’ का अर्थ होता है आठ, और ‘वर्ग’ का अर्थ होता है समूह। इस प्रकार अष्टकवर्ग पद्धति में आठ ग्रहों – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और लग्न (या जन्म लग्न) को शामिल किया जाता है। राहु-केतु को इसमें नहीं गिना जाता। इन आठों ग्रहों के द्वारा विभिन्न राशियों में दिए गए अंक हमें यह बताते हैं कि कौन-से भाव या ग्रह व्यक्ति के लिए शुभ हैं और कौन-से अशुभ।
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अष्टकवर्ग कैसे काम करती है?
प्रत्येक ग्रह का एक स्वयं का अष्टकवर्ग होता है, जिसे ‘भिन्न अष्टकवर्ग’ कहा जाता है और सभी ग्रहों का संयुक्त गणनात्मक योग ‘समुदाय अष्टकवर्ग’ कहलाता है। हर ग्रह अपनी स्थिति के अनुसार बारह राशियों में बिंदु (Bindu) देता है या नहीं देता। कुल 8 ग्रहों द्वारा 12 राशियों में दिए गए बिंदुओं का विश्लेषण करने पर हमें हर भाव की ताकत का आकलन मिल जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी भाव में कुल 30 से अधिक बिंदु हों तो वह भाव अत्यधिक शुभ माना जाता है। वहीं यदि बिंदु 25 से कम हों, तो उस भाव में कष्ट संभावित होता है। इस प्रणाली से हम गोचर ग्रहों के प्रभाव को और भी सटीकता से समझ सकते हैं।
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अष्टकवर्ग का ज्योतिष में उपयोग
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अष्टकवर्ग क्यों है विशेष?
इस पद्धति की खूबी यह है कि यह व्यक्तिगत और व्यावहारिक दोनों स्तरों पर कार्य करती है। केवल ग्रहों की स्थिति नहीं, बल्कि उनका प्रभाव कितना सक्रिय होगा, इसे मापने का माध्यम यही है। अष्टकवर्ग से कुंडली को देखने पर व्यक्ति को जीवन के उतार-चढ़ाव के प्रति अग्रिम चेतावनी और मार्गदर्शन मिल सकता है।
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5 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर:
1. प्रश्न: अष्टकवर्ग में कुल कितने ग्रह शामिल होते हैं?
उत्तर: आठ – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और लग्न।
2. प्रश्न: अष्टकवर्ग में बिंदुओं की संख्या क्या दर्शाती है?
उत्तर: बिंदु किसी ग्रह या भाव की शुभता और प्रभावशालीता को दर्शाते हैं।
3. प्रश्न: 30 से अधिक बिंदु का क्या अर्थ होता है?
उत्तर: यह भाव अत्यंत शुभ और फलदायक होता है।
4. प्रश्न: क्या राहु-केतु अष्टकवर्ग में शामिल होते हैं?
उत्तर: नहीं, ये इसमें शामिल नहीं होते।
5. प्रश्न: अष्टकवर्ग का मुख्य प्रयोग किसमें होता है?
उत्तर: गोचर फल विश्लेषण और दशा फल की गहराई में समझ के लिए।
सारांश:–
यह लेख अष्टकवर्ग पद्धति की गहराई से जानकारी देता है, जो वैदिक ज्योतिष की एक वैज्ञानिक और गणनात्मक प्रणाली है। इसमें आठ ग्रहों द्वारा कुंडली के बारह भावों में दिए गए बिंदुओं के माध्यम से यह आकलन किया जाता है कि कौन-से भाव जीवन में शुभ फल देंगे और कौन-से कष्टदायक होंगे। यह पद्धति गोचर, दशा और व्यक्तिगत ग्रहफल को विश्लेषित करने में अत्यंत उपयोगी मानी जाती है। लेख में इसके प्रयोग, महत्व, कार्यप्रणाली, और इससे जुड़े 5 महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए हैं, जिससे यह विषय और भी स्पष्ट हो जाता है। अंत में, इच्छुक पाठकों को विस्तृत मार्गदर्शन हेतु संपर्क जानकारी भी दी गई है।
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यदि आप अपनी कुंडली के माध्यम से अष्टकवर्ग पद्धति द्वारा जीवन के रहस्यों को समझना चाहते हैं, या इस पद्धति के बारे में और गहराई से जानना चाहते हैं, तो आज ही संपर्क करें:
भृगु ज्योतिष अनुसंधान केंद्र
आचार्य कृष्ण कुमार शास्त्री जी
मो.: 94175 59771
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